ब्रिटिश भारतीय सरकार के पहले वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने 1860 में भारत में Income Tax प्रणाली की शुरुआत की थी। भारत में यह आयकर प्रणाली जेम्स विल्सन द्वारा 1857 के सैन्य विद्रोह के कारण सरकार को हुए नुकसान को पूरा करने के लिए लागू की गया थी। इसके बाद समय-समय पर इसमें कई संशोधन किए गए। 1886 व 1918 में नए आयकर अधिनियम पारित किए गया। इनके स्थान पर एक और नया अधिनियम लाया गया जिसे 1922 में पारित किया गया। यह अधिनियम कई संशोधनों के साथ मूल्यांकन वर्ष 1961-62 तक लागू रहा।
1 अप्रैल 1962 से ‘Income Tax Act 1961’ लागू किया गया। यह सिक्किम (जम्मू और कश्मीर सहित) पूरे भारत पर लागू होता है। 1962 के बाद से दूरगामी प्रभाव वाले कई संशोधन हर साल केंद्रीय बजट द्वारा Income Tax Act में प्रावधान किए गए हैं।
1955 में पहली बार देश की जनसंख्या बढ़ाने के लिए शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। शादीशुदा को 2000 रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी। भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। अगर शादीशुदा हैं, पर बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चा होने पर 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुयपे की आय टैक्स फ्री थी।
नोट:- सिक्किम भारत का एकमात्र आयकर-मुक्त ( Income Tax Free ) राज्य है। संविधान के अनुच्छेद 371 (एफ) और आयकर अधिनियम की धारा 10 (26AAA) के तहत, इस राज्य के लोगों को उनकी आय की परवाह किए बिना आयकर का भुगतान करने से पूरी तरह छूट है। यह विशेष छूट 1975 में सिक्किम के भारत में विलय के समय से चली आ रही है।
भारत में Income Tax एक प्रत्यक्ष कर है जो भारत सरकार द्वारा व्यक्तियों, व्यवसायों और अन्य संस्थाओं द्वारा अर्जित आय पर लगाया जाता है। यह कर आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार एकत्र किया जाता है और वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा प्रशासित किया जाता है।यहाँ हम 1947 से लेकर अब तक Income Tax Rates and Tax Slabs में हुए महत्वपूर्ण बदलाव को समझने का प्रयास करते है।
1947 में Income Tax Rate और Tax Slabs

1947 में भारत की आजादी के बाद देश के प्रथम वित्त मंत्री Ramasamy Kandasamy Shanmukham Chetty ने 26 नवंबर 1947 को देश का पहला बजट पेश किया। और उसमे उन्होंने कोई बदलाव नहीं किया। जो आजादी से पहले से चला आ रहा था वही Income Tax Rates रखा।
1947 में प्रारंभिक समय में एक आना भारत और पाकिस्तान में इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा इकाई थी। रुपये को 16 आने में विभाजित किया गया था। एक आना =4 पैसे = 12 पाई के बराबर होता था, यानी एक रुपया = 16 आने = 64 पैसे = 192 पाई के बराबर होता था। 1947 में 2,500 रुपये तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना पड़ता था।
1. 0 से 2500 तक = 0%
2. 2500 से 10000 तक = 1 आना
3. 10000 से 15000 = 2 आना
4. 15001 से अधिक = 31.25%
यह Income Tax रेट 1922 से से लगभग ऐसे ही चला आ रहा था। 1936 में कुछ संशोधनों के बाद भी ये ज्यों का त्यों ही चला आ रहा था इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ था।
1949-50 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

आजाद भारत में Income Tax का पहला बदलाव वित्त मंत्री जॉन मथाई ने 1949-50 में किया। यह Income Tax बदलाव मिडिल क्लास के लिए था।इसमें भी 2500 तक की इनकम पर टैक्स में छूट थी।
1. 0 से 10000 तक = 9 पाई
2. 10000 से 15000 तक = 1.90 आना
3. 15001 से अधिक = 31.25%
1972-73 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

16 मार्च 1972 को नई दिल्ली में श्रीमती इंद्रा गांधी सरकार के वित्त मंत्री श्री यशवंतराव बलवंतराव चह्वाण ने केंद्रीय बजट पेश किया। जिसमे Income Tax Rate और Tax Slabs में संशोधन किया गया और 12 Tax Slabs व उच्चत्तम Tax रेट 97.75 % लगाया गया। जो की आज तक के भारतीय इनकम टैक्स के इतिहास में सबसे ज्यादा है। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई। सरचार्ज मिलाकर यह टैक्स रेट 97.75 फीसदी पहुंच गया। 2 लाख रुपये की इनकम के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी।
- 0 से 5000 तक = 0%
- 5001 से 10000 तक = 10%
- 10001 से 15000 तक = 17%
- 15001 से 20000 तक = 23%
- 20001 से 25000 तक = 30%
- 25001 से 30000 तक = 40%
- 30001 से 40000 तक = 50%
- 40001 से 60000 तक = 60%
- 60001 से 80000 तक = 70%
- 80001 से 100000 तक = 75%
- 100001 से 200000 तक = 80%
- 200001 से अधिक = 85%
अगर किसी की इनकम 15000 से कम है तो उसे 10% का Surcharge ( अधिभार ) देना पड़ेगा। और अगर 15000 से अधिक है तो 15% का Surcharge ( अधिभार ) देना पड़ेगा। कहने का मतलब है की 5000 से कम कमाने वाले को Income Tax तो नहीं लगेगा पर सरचार्ज के 10% देने पड़ेंगे। इसी प्रकार 2 लाख से अधिक कमाने वाले को 85% Income Tax और 15% का सरचार्ज मिला कर 100% ही सरकार के बनते थे पर सरकार ने 2 लाख से अधिक कमाने वालों पर सरचार्ज में 2.25% की छूट दे दी जिससे उनका Income Tax 97.75% हो गया।
1974-75 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन
28 फरवरी 1974 को वित्त मंत्री श्री यशवंतराव बलवंतराव चह्वाण ने बजट पेश किया जिसमें Income Tax छूट को 5000 से बढ़ा कर 6000 कर दिया। और सभी Tax slabs पर Surcharge ( अधिभार ) को एक समान 10% कर दिया। साथ ही इनकम टैक्स की ऊपरी सीमा 97.75% से घटा कर 75% कर दी गयी। और टैक्स स्लैब्स को भी 12 से कम करके 9 कर दिया गया। हां, संपत्ति-कर में काफी वृद्धि की गई जो एक बुद्धिमान निर्णय था।
- 0 से 6000 तक = 0%
- 6001 से 10000 तक = 12%
- 10001 से 15000 तक = 15%
- 15001 से 20000 तक = 20%
- 20001 से 25000 तक = 30%
- 25001 से 30000 तक = 40%
- 30001 से 50000 तक = 50%
- 50001 से 70000 तक = 60%
- 70001 से अधिक = 70%
1985-86 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

16 मार्च 1985 को वित्त मंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बजट पेश किया। जिसमें Income Tax छूट को 15000 से बढ़ा कर 18000 कर दिया। और उन्होंने आयकर स्लैब की संख्या नौ से घटाकर पाँच करके कराधान का पुनर्गठन किया। व्यक्तिगत आय पर आयकर की उच्चतम सीमांत दर 61.875 प्रतिशत से घटकर 50 प्रतिशत हो गई। और सबसे बड़ी बात जिसे पसंद किया गया वो थी की Surcharge ( अधिभार ) बंद कर दिया गया।
- 0 से 18000 तक = 0%
- 18001 से 25000 तक = 25%
- 25001 से 50000 तक = 30%
- 50001 से 100000 तक = 40%
- 100000 से अधिक = 50%
1992-93 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

29 फरवरी 1992 को वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया। वह टैक्स स्लैब को अब तक के सबसे निचले स्तर पर लाने में सफल रहे। उन्होंने पाँच टैक्स स्लैब से चार टैक्स स्लैब बनाये। और एक लाख से अधिक इनकम वालों पर 12% का Surcharge ( अधिभार ) लगाया।
- 0 से 28000 तक = 0%
- 28001 से 50000 तक = 20%
- 50001 से 100000 तक = 30%
- 100000 से अधिक = 40%
1997-98 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

28 फरवरी 1997 को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ‘ड्रीम बजट’ लेकर आये। जिसमें Income Tax की दरों में बड़ी भारी कटौती की गयी और Surcharge ( अधिभार ) भी नहीं लगाया गया। और 40000 हजार तक के टैक्स में भी छूट दी गयी। बाद में एक घोषणा की गई कि 75,000 रुपये प्रति वर्ष वेतन पाने वाले और भविष्य निधि में 10 प्रतिशत योगदान करने वाले सभी कर्मचारियों को कोई कर नहीं देना होगा। और साथ ही स्टैण्डर्ड डिडक्शन की सीमा भी बढ़ा कर 20000 कर दी गयी।
- 0 से 40000 तक = 0%
- 40001 से 60000 तक = 10%
- 60001 से 150000 तक = 20%
- 150000 से अधिक = 30%
2005-06 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट पेश किया। जिसमें Income Tax को 1 लाख तक फ्री कर दिया। महिलाओं को 1 लाख 35 हजार तक फ्री कर दिया और सीनियर सिटीजन को 1 लाख 85 हजार तक फ्री कर दिया। Surcharge ( अधिभार ) 10 लाख से अधिक इनकम पर 10% लगाया।
- 0 से 100000 तक = 0%
- 100001 से 150000 तक = 10%
- 150001 से 250000 तक = 20%
- 250000 से अधिक = 30%
2010-11 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया। जिसमें Income Tax में 1.60 लाख तक छूट दे दी। महिलाओं को 1.90 लाख तक टैक्स फ्री कर दिया। सीनियर सिटीजन को 2.40 लाख तक टैक्स फ्री कर दी।
- 0 से 160000 तक = 0%
- 160001 से 500000 तक = 10%
- 500001 से 800000 तक = 20%
- 800000 से अधिक = 30%
UPA ने अपने लास्ट बजट जिसमें इनकम टैक्स रेट चेंज किए वो 2012-13 है। जिसमें टैक्स छूट 2 लाख तक कर दी गयी। 2-5 लाख पर 10% व 5-10 लाख पर 20% और 10 लाख से अधिक पर 30% टैक्स तय किया गया।
2017-18 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया। उन्होंने इनकम टैक्स 3 लाख तक फ्री कर दिया। टैक्स रेट 10% को कम करके 5% कर दिया। जिससे एक साल में 12500 INR की बचत होने लगी।वित्त मंत्री ने सेक्शन 87A में बदलाव कर 2500 INR तक की छूट 3.50 लाख तक की आय वालों को दी।
- 0 से 250000 तक = 0%
- 250001 से 500000 तक = 5%
- 500001 से 1000000 तक = 20%
- 1000000 से अधिक = 30%
2020-21 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा Income Tax Rate व Tax Slabs में बदलाव के साथ साथ ‘न्यू टेक्स रिजीम’ को भी पेश किया गया। इसके बाद दो टैक्स रिजीम हो गयी एक ‘ओल्ड टैक्स रिजीम’ और एक ‘न्यू टैक्स रिजीम’। न्यू टैक्स रिजीम में सभी छूटों को ख़त्म कर 5 लाख तक की टैक्स छूट दी गयी।
New Tax Regime
- 0 से 2.50 लाख तक = 0%
- 2.50 लाख से 5 लाख तक = 5%
- 5 लाख से 7.50 लाख तक = 10%
- 7.50 लाख से 10 लाख तक = 15%
- 10 लाख से 12.50 लाख तक = 20%
- 12.50 लाख से 15 लाख तक = 25%
- 15 लाख से अधिक = 30%
2023-24 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किया गया। जिसमे 7 लाख तक की टैक्स छूट ‘न्यू टैक्स रिजीम’ में दी गयी। और कुछ टैक्स रैट में भी बदलाव किए गए। साथ ही एक टैक्स स्लैब को भी कम किया गया।
New Tax Regime
- 0 से 3 लाख तक = 0%
- 3 लाख से 6 लाख तक = 5%
- 6 लाख से 9 लाख तक = 10%
- 9 लाख से 12 लाख तक = 15%
- 12 लाख से 15 लाख तक = 20%
- 15 लाख से अधिक = 30%
2024-25 में Income Tax Rates/Slabs संशोधन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किया गया। एक साल बाद फिर से Income Tax Rates और Tax Slab में संशोधन किया गया। इस बार 12 लाख तक की छूट दी गयी अगर इसमें स्टैण्डर्ड डिडक्शन 75000 मिला लें और साथ में कटौतियों को जोड़ ले तो यह 13.25 लाख तक की छूट हो जाती है। यह छूट सिर्फ ‘न्यू टैक्स रिजीम’ में ही मिलेगी।
New Tax Regime
- 0 से 4 लाख तक = 0%
- 4 लाख से 8 लाख तक = 5%
- 8 लाख से 12 लाख तक = 10%
- 12 लाख से 16 लाख तक = 15%
- 16 लाख से 20 लाख तक = 20%
- 20 लाख से 24 लाख तक = 25%
- 24 लाख से अधिक = 30%
निष्कर्ष
भारत देश में 1947 से लेकर अब तक समय- समय पर सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था को देखते हुए Income Tax में अनेकों संशोधन किए गए। कभी शादीशुदा और कुँवारो के लिए अलग टैक्स तो कभी बच्चों की जनसँख्या के आधार पर टैक्स।1947 में यहाँ 2500 INR की टैक्स छूट थी वो अब बढ़कर 12 लाख तक जा पहुँची है। आजादी के बाद एक Income Tax Bill 1961 में लाया गया था। अब दूसरा income Tax Bill 2025 में 64 साल बाद संसद में पेश किया गया है।
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